महफ़िल मुझे रास ना आई, मेरी तो सखी तन्हाई
सब कुछ खोकर इसे पाया, जीवन भर की ये कमाई
खुशियों पे हक़ नहीं मेरा, मैं मांगू ग़म का बसेरा
मुझे भाता नहीं सवेरा, मेरा हमदम है अँधेरा
शीतल बयार बैमानी, मुझे ला दो पवन तूफानी
जितना पाया सब खोया, जैसे मेघो ने पानी
सुख दुख की आँख मिचौली, या फिर दुल्हन की डोली
मेरा मन न बहलायें, मुझे भाये बेरंग होली
आंसू ही मेरा साया, मुस्कान ने मुझे रुलाया
मुझे लगती है जीत पराई, मैंने हार का साथ निभाया
पंची की मीठी बनी, या बचपन की नादानी
सब चार दिनों का चितेरा, जीवन की यही कहानी
Parul Singhal – India – (1984 - )
Singhal. P (2017) Emotionally Exhausted: Random Realisations. The Foolish Poet Press, Wilmslow, England. WRITTEN IN DEJECTION. Page Number 2.