कभी प्यार से समझाऊं, और कभी तकरार करू
इस दिल की मनमानी पे, मैं कैसे इख़्तियार करू
कभी सूरज की गर्मी में, कभी बेमौसम बरसातों में
कितना कुछ समेटा है कुछ बिखरी मुलाकातों में
कभी सोयी सोयी सुबह में, कभी जागी जागी रातों में
रातें छोटी पड़ जाती है, इन लम्बी लम्बी बातों में
रातों का हल तो निकल गया, पर दिन कैसे मैं पार करू
कोई बचपन का साथ नहीं, बस चंद दिनों से मेहमान है
कोई भूली बिसरी याद नहीं, एक नयी दास्तान है
फिर भी जाने क्यों लगता है, की बरसो की पहचान है
अब तकदीर पे इन हाथों की, लकीरे भी हैरान है
जब दिल खुद हाँ कहता है, तो मैं कैसे इनकार करू
Parul Singhal – India – (1984 - )
Singhal. P (2017) Emotionally Exhausted: Random Realisations. The Foolish Poet Press, Wilmslow, England. FALLING IN LOVE. Page Number 8.