मेरे भोले मन ने, अपने बावरेपन में
मुझसे कैसा बैर किया, तुझसा बनने की लगन में
कभी अक्स में ढूंढे तुझको, देखे मुझको दर्पण में
राह ताके है तेरी, कभी भर के पीर नयन में
तुझे देख के यूँ खिल जाये, जैसे सूरज मुखी किरन में
इस तरह मगन हो जाये, जैसे मोर कोई सावन में
कभी पूछे है पता तेरा, उड़ते मेघो से गगन में
बन के मल्हार बरसे, कभी सूखे आंगन में
करता है बग़ावत जग से, जैसे दिए की लौ पवन में
कोई बात सुने न मेरी, करता है जो आये मन में
Parul Singhal – India – (1984 - )
Singhal. P (2017) Emotionally Exhausted: Random Realisations. The Foolish Poet Press, Wilmslow, England. MIND'S OWN WILL. Page Number 10.