पंख पसारे वक़्त उड़ चला, पलक झपकते गुजरे दिन
पर जाना एक सबक नया, साथ उसके हर पल हर छिन
अपनी डायरी में रखा है सारा हिसाब मैंने गिन गिन
बड़ी मुश्किल से सीखा मैंने, फिर से जीना तेरे बिन
कभी लम्हो को कैद किया, बेजुबान तसवीरों में
वो लम्हे जो बंधे हुए है, यादो की जंजीरों में
बस इतना ही साथ लिखा था, शायद अपनी तक़दीरो में
एक शहजाद भी शामिल था, इतने सारे फकीरो में
सफर यही पर ख़त्म नहीं, ये तो बस शुरुआत है
खुद को खुद से रूबरू कर दे, वो ऐसी मुलाकात है
उस पर मौसम का जोर नहीं, वो मनचली बरसात है
उसे भला क्या तोहफा दूं मैं, जो खुद खुद की सौगात है
Parul Singhal – India – (1984 - )
Singhal. P (2017) Emotionally Exhausted: Random Realisations. The Foolish Poet Press, Wilmslow, England. Foolish Poet. Page Number 16 .