माना कि हम पास नहीं,
मिलने की कोई आस नहीं
फिर भी हर पल तलाश तेरी,
ये दूरी हमे रास नहीं
जग को सच से बैर कोई ,
कहते है तुम हो गैर कोई
किसी अपने ने मेरे लिए,
मांगी है कभी खैर कोई
कभी लगे कि लौट चलें
फिर से वो घनी छांव तले
पर जड़े इतनी हो क़रीब,
तो कैसे भला पेड़ पले
लम्हों को दोहराना कहीं
फिर से जादू चलाना कहीं,
पर बदल के मेरी दुनिया,
तुम बदल न जाना कहीं
Parul Singhal – India – (1984 - )
Singhal. P (2017) Emotionally Exhausted: Random Realisations. The Foolish Poet Press, Wilmslow, England. OUT OF SIGHT, NOT THE MIND. Page Number 19.