यादों की ऊँगली थाम कर, चलती है मेरी धड़कने
सांसो में भी सीखे है नये, अब जिन्दगी के मायने
मसरूफ रहे इकतरफा ग़म में, पुछा न तेरा हाल कभी
गाहे-बगाहे अकेलेपन में, आता है मेरा ख़याल कभी
फिर जाना, जैसे दर्द घुला है, संग लहू के मेरी रगों में
उसी तरह हम भी शुमार है, बन के सवाल तेरे रतजगों में
अपनी रौ में ही बहते रहे, तेरे मन को टटोला ही नहीं
तुम इशारों से कहते रहे, कभी खुल के बोला ही नहीं
तेरा क़सूर या मेरी किस्मत, अब समझाने का “वक़्त” नहीं
एक बार जो चला गया, वापस आता कम्बख्त नहीं
पर जुदा न होंगी राहें अपनी, कितना भी बड़ा हो दाएरा
है मान लिया मुर्शीद तुम्हे, और खुद बन बैठे शाएरा
Parul Singhal – India – (1984- )
Singhal. P (2017) Emotionally Exhausted: Random Realisations. The Foolish Poet Press, Wilmslow, England. HAPPY REALISATION. Page Number 20.