तेरे जुल्मों का ग़ुलाम नहीं, न ही तुझको आज़ाद करुं
दिल मुझसे पूछे तो कह दूं , मैं न भूलूं न याद करुं
इस दिल की लापरवाही के, किस्से तो जग जाहिर है
सब्र से लेके सुकून तक, सब कुछ खोने में माहिर है
कल ये सोच के नाख़ुश थे, अब बचा ही क्या मेरे पास है
पर आज जो खोया है दिल ने, तुझे खोने का एहसास है
अब काहे का रोना है, अब क्यों आंसू बर्बाद करुं
कच्ची मिटटी से दिल को मैंने, तेरे सांचे में ढाल दिया
बस किया इरादा एकदम पक्का, बाकि किस्मत पर टाल दिया
कोई रेत पे लिखा नाम नहीं, जो मिट जायेगा एक लहर से
पन्नों पे पहुँचने से पहले, गुजरा है कई यादों के शहर से
जो दिल से निकल के दिल को छूले, ऐसा मिसरा इज़ाद करुं
Parul Singhal – India – (1984 - )
Singhal. P (2017) Emotionally Exhausted: Random Realisations. The Foolish Poet Press, Wilmslow, England. FULFILMENT. Page Number 21.