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SAVE THE SACRIFICE - FOOLISH POET
चांदनी रात में महक उठे थे, मिलन की खुशबु से जो फूल आज अमावस की सुबह, बिखरे है बन के चिता की धूल हर बार जीत के आते वो, लगता था बहारो का मेला सौगात नयी कोई लाते वो, इस … Continue reading →
Parul Singhal