foolishpoet.com
FEEL THE JOY AND MOVE - FOOLISH POET
ठहर जाऊं या बढ़ जाऊं कोई बोलो किधर जाऊं झूमती लहरों संग बह लूँ किनारों से मैं कुछ कह लूँ तुम्हारे साथ चलने की करूं कोशिश सम्भलने की कभी लगता बिखर जाऊं चुपके से छूलूं हवा बनके या बेबाक किरण … Continue reading →
Parul Singhal