Author Archives: Parul Singhal

THE WORLD TO ME

जिसका एहसास समाया हो रूह तलक, पर उसने कभी करीब से छुआ तक न हो जिससे मुलाक़ात हो हर मुश्किल मोड़ पर भले ही सामना अरसे से हुआ तक न हो

Posted in David Scanlon (Translations), Parul Singhal, Poetry, Translation | Tagged , , , , , , | Leave a comment

ABSENCE IN PRESENCE: PRESENCE IN ABSENCE

नजरों से दूर हो कर भी, नजरिये में रह कर , तेरा न होना भी है होना मुझे खुद से मिला कर भी, अपनी ही तरह कर, तेरा न होना भी है होना जब आंखे जुबान का साथ देने से … Continue reading

Posted in David Scanlon (Translations), Parul Singhal, Parul Singhal (Translations), Poetry, Translation | Tagged , , , , , | Leave a comment

REUNION

बीते लम्हो को सामने पाकर, फिर एक बार कहकहे लगाकर, बरसी जब बातों की बदरी, मन को कर गयी सराबोर बातों पे है किसका जोर कभी लगा सब पहले सरीखा, लौट आया जीने का वो तरीका, आंखों में शरारत, पर … Continue reading

Posted in David Scanlon (Translations), Parul Singhal, Poetry, Translation | Tagged , , , , , | Leave a comment

LASTING MEMORIES

अब आँखों को पहले की तरह, हर पल तेरी तलाश नही अब अरमान रहते है बस में हर बात की शुरुआत काश नही अब ना ही दर्द है पहले जैसा न ही मरहम का बहाना रहा न तुम बदले, न … Continue reading

Posted in David Scanlon (Translations), Parul Singhal, Poetry, Translation | Tagged , , , , , , | Leave a comment

YOU, ME & WORDS

तेरे बिन, लब्ज बेखबर थे मेरे भीतर कैद जहानों से एक घना अंधेरा अतीत का भरा हुआ था अरमानों से हर आवाज अलग कुछ कहती बुनती शब्दों का मायाजाल लिपटी हुई संजीदगी से समझ न पायी मन का हाल

Posted in David Scanlon, David Scanlon (Translations), Parul Singhal, Poetry, Translation | Tagged , , , , , , , , | Leave a comment