पलकों की बांहों में, जागी निगाहों में,
सपनो को कैसे सुला दूं
गुजरे हुए पल को, हसते हुए कल को,
कैसे भला मैं रुला दूं
दिल को भरम है , ये पल भर का ग़म है
कि बदलेगा एक दिन नजारा
मगर हाथ से छूट कर, कभी आइना टूट कर,
जुड़ता नहीं फिर दोबारा
Parul Singhal – India – (1984 - )
Singhal. P (2017) Emotionally Exhausted: Random Realisations. The Foolish Poet Press, Wilmslow, England. LET IT GO. Page Number 4.